हम वहां नहीं होंगे – एक कविता.

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हम वहां नहीं होंगे - एक कविता.

हम वहां नहीं होंगे – एक कविता.

संगीत और संगीतकार हमेशा रहेंगे
डांस और मनोरंजन हमेशा रहेगा.

लेकिन हम वहां नहीं होंगे.

सूर्य और चंद्रमा सदैव वहीं रहेंगे
फूल और सुबह की ओस हमेशा रहेगी.

लेकिन हम वहां नहीं होंगे.

लाभ और हानि सदैव बनी रहेगी
बचपन, जवानी और बुढ़ापा तो हमेशा रहेंगे।

लेकिन हम वहां नहीं होंगे.

सुख और दुःख का चक्र चलता रहेगा
हंसने और रोने का सिलसिला भी चलता रहेगा

लेकिन हम वहां नहीं होंगे

धर्म और उपदेशक आते रहेंगे
अमीर और गरीब घूमते रहेंगे

लेकिन हम वहां नहीं होंगे

त्वचा का रंग बदलता रहेगा
रीति-रिवाज़ और मान्यताएँ बदलती रहेंगी

लेकिन हम वहां नहीं होंगे

प्यार और नफरत घूमते रहेंगे
गायक और श्रोता बदलते रहेंगे
लेकिन हम वहां नहीं होंगे

संसार के अँधेरे में लोग अब भी एक दूसरे से टकराते रहेंगे।

अपने कष्टों के लिए वे अब भी एक-दूसरे को दोषी ठहराते रहेंगे

इन सब से ऊपर उठकर, कुछ बुद्ध आत्मज्ञान की ओर बढ़ेंगे

लेकिन दुख की बात है कि हम वहां नहीं होंगे.

 

(यह उठने और यात्रा शुरू करने का क्षण है।

ये पल वापस नहीं आएगा. )

Nov 21,2023

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