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जीवन का काव्य।

प्रकृति कविता लिखती है।
कविता कोई अनिवार्यता नहीं है।
जंगल इसके बिना भी रह सकता है।
तो फिर इसे क्यों लिखा गया?
इसका कोई मन-आधारित वैज्ञानिक उत्तर नहीं हो सकता।
इसका उत्तर केवल विस्मय (निराशा) और कृतज्ञता में नतमस्तक होना ही हो सकता है।
अध्यात्म जीवन का काव्य है।
इसके बिना भी जीवन आसानी से चल सकता है।
जब आप विस्मय का अनुभव करते हैं, तो आप ईश्वरत्व की अवस्था के निकट पहुँच जाते हैं।
उत्तर न दे पाना मनुष्य (मन) की हार और ईश्वरत्व की विजय है।
लेकिन, कविता एक बड़ा त्याग माँगती है – आपका त्याग।
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