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अध्यात्म का सत्य.
अतीत में जो कुछ भी हुआ है, वर्तमान में जो कुछ भी चल रहा है और भविष्य में जो कुछ भी होगा, वह सब निरर्थक है।
इस निरर्थक संसार का एकमात्र सार्थक परिणाम यह एहसास है कि यह निरर्थक है।
यह एहसास अमूल्य है।
इस एहसास तक पहुँचने का एकमात्र तरीका ऐसे निरर्थक संसार से बाहर निकलना है, और वह कदम है ध्यान।
बस अपनी आँखें बंद करके अपने विचारों (मानसिक संसार) को देखना तुच्छ लग सकता है, लेकिन वास्तव में, यह एक छोटा सा बीज है जो अंततः आपके जीवन में एक विशाल बोशिवृक्ष – ज्ञान का वृक्ष – बन जाएगा।
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